बाजार में अटा पड़ा है विदेशी रंगीन बल्ब, नहीं दिखते मिट्टी के दीये

देवघर रोशनी का महापर्व दीपावली को लेकर लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। लोगों ने अपने घरों में रंग रोगन करना भी शुरू कर दिया है। शहर में हर तरफ पेंट व हार्डवेयर दुकानों पर भी लोगों की पेंट, सफेदी, डिस्टेंबर आदि खरीदने के लिए भीड़ लगी रहती है। घरों में जहां साफ सफाई का कार्य जोरों पर चल रहा है। बाजारों में दुकानों पर विभिन्न प्रकार की सजावट की चीजें सजी हुई दिखाई दे रही हैं। एक तरफ बाजारों में रंग बिरंगी और झिलमिलाते छोटी-छोटी बल्बों का क्रेज देखने को मिल रहा है। वही अन्य कई साजो सज्जा के सामानों से बाजार अटा पड़ा है। मुख्य रूप से हमारा धार्मिक मूल्यों पर आधारित मिट्टी के दीयों की धमक काफी धीमी दिख रही है। ग्रामीण परिवेश के कुम्हार जिन्होंने अपनी पूरी जीवन मिट्टी को दे दिया है उनकी हालत खस्ता होती जा रही है। ऐसा ही एक मामला देवीपुर प्रखंड के टटकियों पंचायत स्थित गांव भगवानपुर पण्डित टोला में देखने को मिला, जहां एक वृद्ध कुम्हार अपने हाथों से मिट्टी के दिये और खिलौने बना रहे थे। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आज मिट्टी के दीये कि मांग है या कम हुयी है। कुम्हार केटू पंडित ने बताया कि मिट्टी के दीए खरीदने वालों की संख्या काफी कम हो गई है। दिनभर मेहनत के बाद बमुश्किल से 100 से 150 रुपये ही कमा पाते हैं।

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